बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 13
विकास एवं अल्पविकास, अल्पविकास की विशेषताएँ एवं व्याख्या
(Development and Underdevelopment, The Characteristics and Explanation of Underdevelopment)
प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
अथवा
अल्पविकसित देशों का आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा गैर-आर्थिक कारणों का परिणाम हैं।" व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
विकास शब्द के बहुत से समानार्थी शब्द हैं- वृद्धि, प्रगति, समृद्धि आदि। सामान्य व्यक्ति की दृष्टि में इनमें कोई अन्तर नहीं है। वह उदारता से इन शब्दों को समानार्थी के रूप में ही प्रयुक्त करता है।
प्रो. संगमन के विचारानुसार, “आर्थिक प्रगति से आशय किसी समाज से सम्बन्धित आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की शक्ति में वृद्धि करना है। "
प्रो. विलियम्सन के अनुसार, “आर्थिक विकास अथवा वृद्धि से उस प्रक्रिया का बोध होता है जिसके द्वारा किसी देश अथवा प्रदेश के निवासी उपलब्ध साधनों का उपयोग प्रति व्यक्ति वस्तुओं के उत्पादन में, निरन्तर वृद्धि के लिए करते हैं। '
प्रो. डी. ब्राइट सिंह के अनुसार, “आर्थिक वृद्धि से अभिप्राय, एक देश के समाज में होने वाले उस परिवर्तन से लगाया जाता है जो अल्पविकसित स्तर से उच्च आर्थिक उपलब्धियों की ओर अग्रसर होता है। "
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि जहाँ मायर एवं बाल्डविन ने आर्थिक विकास में वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने की बात कही है कहीं विलियम्सन तथा लुईस द्वारा प्रति व्यक्ति उत्पादन अथवा आय में वृद्धि का समर्थन किया गया है। किन्डलबर्गर ने भी इसी व्यापक दृष्टिकोण को अपनाते हुए कहा है, “आर्थिक वृद्धि, विकास की ऐसी प्रक्रिया है जिसके फलस्वरूप प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। "
आर्थिक विकास एक सतत् प्रक्रिया है, जिसका अर्थ कुछ विशेष प्रकार की शक्तियों के कार्यशील रहने के रूप में लगाया जाता है। इन शक्तियों के एक अवधि तक निरन्तर कार्यशील रहने के कारण आर्थिक घटकों में सदैव परिवर्तन व विवर्तन होते रहते हैं। यद्यपि इस प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन तो होता है, किन्तु इस क्रिया का सामान्य परिणाम राष्ट्रीय आय में वृद्धि होना है।
उपर्युक्त तर्कों के आधार पर व्यावहारिक एवं उचित यह परिभाषा होगी - " आर्थिक विकास या वृद्धि एक ऐसी दीर्घकालीन प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्थागत एवं संरचनात्मक लाभकारी परिवर्तन होते हैं, जिससे व्यक्ति व समाज समृद्धि या खुशहाली अर्थात् निम्न से उच्चस्तरीय स्थिति प्राप्त करता है। '
अतः निष्कर्ष यह है कि राष्ट्रीय आय में निरंतर वृद्धि एवं आय वितरण में सुधार के साथ-साथ देश में अन्य आवश्यक सभी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं संस्थागत परिवर्तन इस तरह से हों ताकि इन सब आर्थिक-सामाजिक परिवर्तनों के प्रभाव से प्रतिव्यक्ति आय भी निरंतर बढ़ती रहे। व्यापारिक दृष्टि से यही आर्थिक विकास है।
आर्थिक विकास के मापदण्ड - आर्थिक विकास के मापदण्डों की विवेचना इस प्रकार है-
राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि - आर्थिक विकास का प्रमुख मापदण्ड राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से आर्थिक विकास होता है। कुल राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर किसी भी राष्ट्र की जनता की आवश्यकताओं को संतुष्ट करने की शक्ति बढ़ जाती है। किन्तु जनसंख्या में होने वाली वृद्धि का प्रभाव देखने के लिए प्रति व्यक्ति आय इससे भी बेहतर उपाय है। प्रति व्यक्ति आय में होने वाली आर्थिक प्रगति की उचित माप है और जिस देश में या जिस समय में प्रति व्यक्ति आय जितनी अधिक है, उस देश का विकास उतना ही अधिक विकसित है। आय में होने वाली यह वृद्धि मौद्रिक इकाइयों में भी प्रकट की जा सकती है और वृद्धि की दर के रूप में भी। आर्थिक विकास की स्थिति की तुलना के लिए प्रथम पद्धति राष्ट्रीय आय में वृद्धि की गणना उपयोगी है। आर्थिक विकास की गति के अध्ययन के लिए दूसरी पद्धति प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की गणना उपयोगी है।
पूँजी निर्माण की दर - आर्थिक विकास की गति की माप का सर्वश्रेष्ठ आधार पूँजी निर्माण की दर को माना जाता है। पूँजी निर्माण की दर के अंतर्गत हम उस अनुपात का अध्ययन करते हैं जिनमें कुल पूँजी में वृद्धि होती है। राष्ट्रीय आय में से हम कितना बचाकर और आय उत्पन्न करने में विनियोग कर सकते हैं। हमारी इस क्षमता पर विकास की संभावनाएं आधारित होती हैं। जो देश जितना ज्यादा विनियोग कर सकता है, वह उतना ही अधिक विकास कर सकता है। इस प्रकार पूँजी निर्माण ही वास्तव में आर्थिक विकास का पूँजीवादी मतलब है और प्रत्येक देश को आर्थिक विकास की प्रतियोगिता में पूँजी निर्माण पर ज्यादा जोर देना चाहिए। साधारणतः पूँजी निर्माण की प्रक्रिया और आर्थिक विकास की प्रक्रिया एक ही होती है और आर्थिक विकास प्रक्रिया में पूँजी निर्माण की प्रकिया मुख्य चालक का कार्य करती है। अविकसित एवं अल्पविकसित राष्ट्र में उपभोग की प्रवृत्ति बहुत अधिक होती है। परिणामतः विनियोग की प्रकृति के कमजोर होने के कारण पूँजी निर्माण बहुत कम हो पाता है। दूसरी ओर प्राथमिक व्यवसायों की प्रमुखता और शैक्षिक विकास के अभाव में रूढ़िगत अवरोधों के कारण भी पूँजी निर्माण नहीं हो पाता इसके विपरीत विकसित राष्ट्रों में पूँजी निर्माण की दर काफी अधिक होती है। क्योंकि एक तो उपभोग प्रवृत्ति कम होती है, दूसरी पूँजी निर्माण के अवसर सुलभ होते हैं।
आय का वितरण - यदि आर्थिक आय से राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो, किन्तु उसका न्यायोचित वितरण सभी वर्गों में न हो सके तो उस स्थिति को वास्तव में विकास की स्थिति नहीं कहा जा सकता। अतः आर्थिक विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि आय के वितरण के प्रश्न को भी ध्यान में रखा जाय। किंडलबर्गर ने अपनी पुस्तक आर्थिक विकास के सन्दर्भ में कुवैत का उदाहरण देकर इस बात को सिद्ध करने का भरसक प्रयास किया है कि कुवैत को हम प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर पूर्णतः विकसित राष्ट्र नहीं मान सकते, क्योंकि वहाँ के जनसमूह अत्यन्त दरिद्रता का जीवन बिता रहे हैं।
अन्त में मायर एवं बाल्डविन के शब्दों में कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास की व्याख्या वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि तथा सम्पूर्ण वृद्धि से संबंधित सभी परिवर्तनों पर केन्द्रित है। यद्यपि प्रतिव्यक्ति उत्पादन में वृद्धि होना अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण सफलता है तथापि बिना अन्य बातों पर विचार किये हुए हम इसकी समानता आर्थिक लाभ में होने वाली वृद्धि से नहीं कर सकते। सामाजिक कल्याण की बात ही जाने दीजिये। विकास की आदर्शतम दर का ठीक-ठीक अनुमान लगाने के लिए हमें आय का वितरण, उत्पत्ति का स्वरू, लोगों की रुचियों, वास्तविक लागतों के संबंध में मान्यताएं करनी पड़ेगी।
अल्पविकसित देशों की विशेषतायें
1. कृषि की प्रधानता - अल्पविकसित अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से प्राथमिक वस्तु उत्पादक होता है। इन देशों में अधिकांश जनसंख्या कृषि एवं कृषि से सम्बद्ध क्रियाओं में लगी रहती है। अल्पविकसित देशों में राष्ट्रीय आय में योगदान, कृषि क्षेत्र का अधिक होता है अतः कृषि तथा प्राथमिक उत्पादन की प्रधानता अल्पविकसित देशों का एक लक्षण है।
2. पूँजी का अभाव व पूँजी निर्माण की धीमी दर - पूँजी की कमी अल्पविकास युक्त देशों में उत्पादकता होने का कारण और परिणाम दोनों है। इन देशों में पूँजी की प्रति व्यक्ति उपलब्धता विकास प्राप्त देशों की तुलना में बहुत कम है। इसीलिए इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को अनिवार्य रूप से उत्पादकता के निम्न स्तर पर काम करना पड़ता है। जनसंख्या अधिक होने के कारण इन देशों में निम्न आय स्तर होता है, जो भावी विकास के लिए वांछित विनियोग दर से पूरी नहीं कर पाते जिससे पूँजी निर्माण व आर्थिक विकास का काम रुक जाता है।
3. आय का असामान्य वितरण - अल्पविकसित देशों में आय का जनसंख्या के बीच वितरण असामान्य ढंग से होता है। राष्ट्रीय आय का अधिकांश भाग अल्पसंख्यक अमीरों को और जनसंख्या के एक बड़े भाग जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, को कुल राष्ट्रीय आय का थोड़ा ही भाग मिल पाता है। प्रो० महोलनोबीस के अनुसार, भारत में देश की 5 प्रतिशत जनसंख्या को राष्ट्रीय आय का 3 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है। 1 प्रतिशत जनसंख्या को 11 प्रतिशत तथा 5 प्रतिशत निर्धन जनसंख्या को राष्ट्रीय आय का मात्र 10 प्रतिशत भाग ही मिल पाता है। धीरे-धीरे ये असमानताएं और बढ़ती जा रही हैं। जब तक आय व धन की असमानताएं बनी रहेंगी तब तक विश्व की विकसित, अल्पविकसित अर्थव्यवस्थाएं एक धरातल पर नहीं ला जा सकती है।
4. तकनीकी का अल्पविकास - प्रो० कुटनेटस के मतानुसार, इन देशों में तकनीकी विकास के चार महत्त्वपूर्ण चरणों, वैज्ञानिक खोज, आविष्कार, नव प्रवर्तन तथा सुधार का प्रायः अभाव होता है। तकनीकी पिछड़ेपन के सम्भवतः तीन कारण दृष्टिगत होते हैं-
(i) नीची मजदूरी के बावजूद उत्पादन लागत ऊँची होना,
(ii) उत्पादन का निम्न स्तर,
(iii) उत्पादन के लिए अधिक पूँजी की आवश्यकता जो कि उनके पास नहीं होती।
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- प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
- प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
- प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
- प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
- प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
- प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
- प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
- प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
- प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
- प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
- प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
- प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
- प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
- प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
- प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
- प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
- प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
- प्रश्न- बोइके का सामाजिक दुहरापन सिद्धान्त समझाइये।
- प्रश्न- मिन्ट का वित्तीय दुहरेपन को दूर करने का विकास सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- अल्पविकास का निर्भरतापरक सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- काल्डोर का आर्थिक वृद्धि मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हैरड की तटस्थ तकनीकी प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तटस्थ एवं गैर तटस्थ तकनीकी प्रगति क्या है? तटस्थता के सम्बन्ध में हिक्स की धारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में तकनीकी प्रगति का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
- प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
- प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- करने से जानकारी (कौशल अर्जन) (Learning By Doing) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तकनीकी प्रगति का अभिप्राय क्या है?
- प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शोध एवं विकास (Research and Development ) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा, शोध एवं ज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्जात संवृद्धि सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी की आवश्यकता महत्व तथा खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हैं? भारत जैसे विकासशील देश में निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगमों की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- विश्व बैंक के क्या कार्य हैं? विकासशील देशों के सम्बन्ध में विश्व बैंक की क्या नीति है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की स्थापना कब हुई थी तथा विकासशील देशों के सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की नीतियों की स्पष्ट विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौद्रिक नीति के प्रमुख उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बहुराष्ट्रीय निगम क्या है? उनके पक्ष एवं विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- भारत के बाह्य ऋण' समझाइये |
- प्रश्न- 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निजी विदेशी निवेश के विचार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक विकास में घाटे का वित्त प्रबंधन की भूमिका की व्याख्या कीजिए [
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक वृद्धि में विदेशी व्यापार की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- एक विकासशील अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति किस प्रकार कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की प्रगति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सफलताओं एवं असफलताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को होने वाले लाभों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के उद्देश्यों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक से भारत को क्या लाभ हुए हैं? समझाइये |
- प्रश्न- विश्व बैंक की प्रमुख आलोचनायें लिखिये।
- प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।